बंधन माया मोह जाल से ,निकल राम को पाएंगे। राम राम श्रीराम जपे जा,वो ही पार लगाएंगे। अहं छोड़ प्रभु प्रीत जोड़ के,हम तो भव तर जाएंगे मानव तन जो दिया राम ने, संग धर्म अधर्म दिया, मोह-माया का जाल दिया तो,उसे काटने कर्म दिया काम क्रोध मद लोभ पंक में, कैसे पंकज खिला बने। ओंकार ब्रम्हांड में गूंजन,योग ध्यान का मर्म दिया । मोह माया के जाल फॅंसे न,राम सार ही गाएंगे। अहं छोड़ ---- राम राम ---- मोह जाल माया की नगरी,इक रमणीय उलझाव है। एक बार जो उलझ गया तो,बड़ा गजब ठहराव है दिखती फूलों सजी सुरंगी,पर कांटे भी बहुतेरे। मनु ग्रंथों संज्ञान मिला तो, उसमें सब सुलझाव है। नारायण हरि प्रीत भस्म से अपने पाप मिटाएंगे। अहं छोड़ ----- राम राम ---- वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal #ramsita