*परम पिता परमात्मा* तुम सब जानते हो... फिर भी कर रहा प्रार्थना, परहित की चाह सदा हो मन में, मेरा स्वार्थ यही है इतना, मन सु मन हो इतनी सी याचना, स्वहित में सबका हित हो, मेरे जीवन की यही रहे साधना अन्तर्मन में सुशोभित रहो आप इतनी सी है प्रार्थना🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 *परम पिता परमात्मा* तुम सब जानते हो... फिर भी कर रहा प्रार्थना, परहित की चाह सदा हो मन में, मेरा स्वार्थ यही है इतना, मन सु मन हो इतनी सी याचना, स्वहित में सबका हित हो, मेरे जीवन की यही रहे साधना