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मजबूर को ,कितने दिनों का सफर तय करना होगा, ये मालू

मजबूर को ,कितने दिनों का सफर तय करना होगा, ये मालूम ही नहीं, 
निकल  पड़े  हैं, नंगे पाँव  ही,कभी पगडंडी  पर  चलते  हैं,
कभी नदियों  का रास्ता चुनते हैं,छुपते हुए काँटों भरी  राहों  पर निकलते है,
विषम परिस्थितियों में  वो  गाँव  का" बूढ़ा बरगद" चुनते  है, 
जटिल समय में  पूरी दृढता के साथ  आत्मनिर्भरता का परिचय दिया करते हैं,
"मजदूर "है साहेब यही संपूर्णता और अखण्डता का निर्माण किया करते  हैं,
'मालूम नहीं' है, इस "असल भारत" को ये वो है जो अर्थव्यवस्था में "ख़ुद"को दिया  करते हैं। 


 मालूम नहीं!
#मालूमनहीं #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#yqhindi
#yqdidiquotes 
#politics
#trending
मजबूर को ,कितने दिनों का सफर तय करना होगा, ये मालूम ही नहीं, 
निकल  पड़े  हैं, नंगे पाँव  ही,कभी पगडंडी  पर  चलते  हैं,
कभी नदियों  का रास्ता चुनते हैं,छुपते हुए काँटों भरी  राहों  पर निकलते है,
विषम परिस्थितियों में  वो  गाँव  का" बूढ़ा बरगद" चुनते  है, 
जटिल समय में  पूरी दृढता के साथ  आत्मनिर्भरता का परिचय दिया करते हैं,
"मजदूर "है साहेब यही संपूर्णता और अखण्डता का निर्माण किया करते  हैं,
'मालूम नहीं' है, इस "असल भारत" को ये वो है जो अर्थव्यवस्था में "ख़ुद"को दिया  करते हैं। 


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