जो भुलाए ना भुलाया जा सका , वो इश्क ही कुछ और था जो दूरियों में भी कायम था , वो इश्क़ ही कुछ और था जो जस्बात को बीन कहे बस आंखो से पढ़ लेता था, वो इश्क़ ही कुछ और था जो सिर्फ़ एक दूसरे के चहेरो को देख कर ही सुकून महसूस करता था , वो इश्क़ ही कुछ और था वो जो लापरवाह यार से बेपरवाह मोहबत निभाए जाना , वो इश्क़ ही कुछ और था वो जाते जाते उसका ना मूड ना और मेरे ज़हन में उसकी वहीं याद रह जाना , वो इश्क़ ही कुछ और था और जो जरूरतों से परे था और जो दिलो में कायम रहेगा वो....वो इश्क़ ही कुछ और है pyar se bhej raha hu pyar ke afsane lafzo ko dill lagana jasbat zarur mehsus hoge . . . . . . .