जरा बिछड़े हुए वो मेरे यार ले आओ बीते हुए दिनों का वो प्यार ले आओ वाट्स एप फेसबुक में वो बात कहा डाकिये से चिट्ठी या तार ले आओ। बहुत मुरझायी सी है मार्केट इस शहर की मेरा रौनक भरा बुधवारी बाजार ले आओ यहां चीजों के साथ भावनाओं का भी फिक्स रेट है मेरे गांव से मोलभाव में कुछ उधार ले आओ। अब का जो मौसम है गुलाबी ठंड का साथ में बैठो और चाय चार ले आओ।। भूली बिसरी