कागज़ के टुकड़ों से खरीदी हुई चमक मैं क्या देखूं, मैंने घर के आंगन में मां को हंसते हुए देखा है।। वो जो रो पड़ती थी तुम्हारे शरीर में खरोच देख कर, तुम्हारे कड़वे शब्दों को सुन उसे अंधेरे में रोते हुए देखा है।। सर्द रातों में ठिठुर ना जाए बेटा मेरा, मैंने मां को जमीन पर सोते हुए देखा है।। उसे जन्नत कहता रहा हर कोई, मैंने उस जन्नत को बेनूर होते देखा है।। उसके कहने पर उसकी बात समझ सके न तुम, तुम्हारी तोतली जुबां को मैंने उसे पढ़ते हुए देखा है।। उसकी गलतियों को जमाने भर से कहा तुमने, तुम्हारी गलतियों पे भी उसे जमाने से लड़ते हुए देखा है।। अपने लहजे को जरा सम्भाल कर इस्तेमाल कर, मैंने शिखर छूते पहाड़ों को बिखरते हुए देखा है।। कागज़ के टुकड़ों से खरीदी हुई चमक मैं क्या देखूं, मैंने घर के आंगन में मां को हंसते हुए देखा है।। 🍁🍁🍁 #yqdidi #unconditionallove #maa #maakikuchbaatein #लिहाज #care #सबकुछ