इल्ज़ामात है तुझ पर बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे इश्क़ की ओट में उन्हें ठहराते हम बेकार रहे । कुछ पलो के लिए दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम पल–पल करते इंतज़ार रहे। मर्ज–ए–रूहानी का हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी यादों के साए तले हम हर पल बीमार रहे।। ✍️धर्मेंद्र बिष्ट #इल्ज़ामात है तुझ पर #बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे #इश्क़ की #ओट में उन्हें #ठहराते हम #बेकार रहे । कुछ #पलो के लिए #दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम #पल–#पल करते #इंतज़ार रहे। #मर्ज–ए–#रूहानी का #हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी #यादों के #साए तले हम हर पल #बीमार रहे।।