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जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ अपना

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ

सहरा की मुँह-ज़ोर हवाएँ औरों से मंसूब हुईं
मुफ़्त में हम आवारा ठहरे मुफ़्त में घर वीरान हुआ
#mohsin Naqvi

©साहिर उव़ैस sahir uvaish
  #Aasmaan