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छूनी है नयी ऊंचाईयां, रहता हूं बस इसी आश में। ये


छूनी है नयी ऊंचाईयां, रहता हूं  बस इसी आश में।
ये बंदिशें मत रोक मुझे, मैं उड़ने चला आकाश में।

🕊️🕊️ #नदान_परिंदा 🕊️🕊️ खुले आकाश में 

...

कविता में एक शब्द एक बिंदु की तरह होता है। जिस प्रकार एक बिंदु से कई रेखाएँ खींची जा सकती हैं और वो भी कई दिशाओं में उसी प्रकार एक शब्द से कई शब्द जुड़े होते हैं, जिनकी खोज करके हम एक पंक्ति को विभिन्न भावों से जोड़ सकते हैं। 

खुले आकाश में इस पंक्ति पर ग़ौर करें तो दो सामने के शब्द हैं

छूनी है नयी ऊंचाईयां, रहता हूं  बस इसी आश में।
ये बंदिशें मत रोक मुझे, मैं उड़ने चला आकाश में।

🕊️🕊️ #नदान_परिंदा 🕊️🕊️ खुले आकाश में 

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कविता में एक शब्द एक बिंदु की तरह होता है। जिस प्रकार एक बिंदु से कई रेखाएँ खींची जा सकती हैं और वो भी कई दिशाओं में उसी प्रकार एक शब्द से कई शब्द जुड़े होते हैं, जिनकी खोज करके हम एक पंक्ति को विभिन्न भावों से जोड़ सकते हैं। 

खुले आकाश में इस पंक्ति पर ग़ौर करें तो दो सामने के शब्द हैं