उलझती रही जिन्दगी रिश्तों के तानों बानों में कभी वक्त अपना सा लगा तो कभी बेगाना सा बदलते मौसम से बदलते रहे लोग ओर उनकी भावनाएं भी ,, बस ठहरा सा था तो एक दुःख जो कभी कम होता तो कभी ज्यादा उम्मीद की किरण कितनी कच्ची होती है पल पल पहर पहर टूटी होती है,, हास्य पर खड़ी जिंदगी आंसूओं से भीगी होती है।। ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * #उलझती रही जिन्दगी रिश्तों के तानों बानों में कभी वक्त अपना सा लगा तो कभी बेगाना सा बदलते मौसम से बदलते रहे लोग ओर उनकी भावनाएं भी ,, बस ठहरा सा था तो एक दुःख