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कुछ भूली बिसरी बातों को, सजाकर रखना होता है कुछ मद

कुछ भूली बिसरी बातों को, सजाकर रखना होता है
कुछ मद्धम धूंधली यादों को, सजाकर रखना होता है

कुछ दफ्न है तेरे सीने में, कुछ दफ्न है मेरे सीने में
जो दफ्न हुए उन राज़ों को, सजाकर रखना होता है

कुछ किस्से जो बाकी रहें, कुछ अश्कों में ही बहा दिए
फिर बाकी रहे जज़्बातो को, सजाकर रखना होता है

ना हम कुछ तुमसे कह पाए, तुम भी ना हमसे बोले कुछ
हाँ "अनकहे अल्फाज़ों" को फिर, सजाकर रखना होता है

 सुप्रभात।
अपने कमरे को ख़ूबसूरत बनाने के लिए उसे सजाना पड़ता है, ठीक वैसे ही जीवन को भी।
#सजाकर #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कुछ भूली बिसरी बातों को, सजाकर रखना होता है
कुछ मद्धम धूंधली यादों को, सजाकर रखना होता है

कुछ दफ्न है तेरे सीने में, कुछ दफ्न है मेरे सीने में
जो दफ्न हुए उन राज़ों को, सजाकर रखना होता है

कुछ किस्से जो बाकी रहें, कुछ अश्कों में ही बहा दिए
फिर बाकी रहे जज़्बातो को, सजाकर रखना होता है

ना हम कुछ तुमसे कह पाए, तुम भी ना हमसे बोले कुछ
हाँ "अनकहे अल्फाज़ों" को फिर, सजाकर रखना होता है

 सुप्रभात।
अपने कमरे को ख़ूबसूरत बनाने के लिए उसे सजाना पड़ता है, ठीक वैसे ही जीवन को भी।
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