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कल चौराहे पर चीथड़ों में थी, आज डिवाइडर पर सर टिका

कल चौराहे पर चीथड़ों में थी,
आज डिवाइडर पर सर टिका है ।
कल कचरे को उघाड़ती थी,
आज लथपथ किनारे पड़ी है ।
कल खिड़कियों में एहसान ढूँढती,
आज उनकी चौंध से घिरी है ।
जो चीख भी गूंज में खो गयी,
इस शहर से क्या आस रखती ?
वो यतीम टुकड़ों में जी लेती साब,
गर भीख में ज़िंदगी मिलती । यतीम

कल चौराहे पर चीथड़ों में थी,
आज डिवाइडर पर सर टिका है ।
कल कचरे को उघाड़ती थी,
आज लथपथ किनारे पड़ी है ।
कल खिड़कियों में एहसान ढूँढती,
आज उनकी चौंध से घिरी है ।
कल चौराहे पर चीथड़ों में थी,
आज डिवाइडर पर सर टिका है ।
कल कचरे को उघाड़ती थी,
आज लथपथ किनारे पड़ी है ।
कल खिड़कियों में एहसान ढूँढती,
आज उनकी चौंध से घिरी है ।
जो चीख भी गूंज में खो गयी,
इस शहर से क्या आस रखती ?
वो यतीम टुकड़ों में जी लेती साब,
गर भीख में ज़िंदगी मिलती । यतीम

कल चौराहे पर चीथड़ों में थी,
आज डिवाइडर पर सर टिका है ।
कल कचरे को उघाड़ती थी,
आज लथपथ किनारे पड़ी है ।
कल खिड़कियों में एहसान ढूँढती,
आज उनकी चौंध से घिरी है ।
calmkazi6439

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