पता नही क्यूँ , यादो से न भेज पाए, जब भी मुसीबत आती न जाने जुबा, तुम्हारा नाम ही क्यों पुकारे, रात बीत गयी ये सोचते सोचते जब सुबह न पहुँच पाया, ऑफिस समय से जब खूब फटकार लगयी बॉस ने तब पता चला क्या थी तुम हमारे लिए जो सब कुछ छोड़ कर आयी थी जो सह लेती सबका गुस्सा हसी हसी बस हमे दुसरो के गुस्से से बचाने के लिए, तुम चली गयी, पर पता नही क्यू यादो से न भेज पाए। ©Manya Malhotra #Opinion #views #Opinion #Pain #real_jazbaat #Life_Experiences #myfirstpoem #realization