तुम्हे क्या लगा कुछ नही कर सकता है ये "दिपक"(2) अरे कम्बखत तेरी मोहोबत में गिरफ्तार था इसलिये बुझना लाज़मी समझा वरना आंधियों में भी अंधेरो को चीरने की कुव्वत रखता है ये "दिपक" दिपक