ख़ुद को बदलने की कोशिश में, कहीं रफ़्तार तेज न हो जाए। दूसरों के वजूद के हिसाब से ढ़लने के चक्कर में, कहीं ख़ुद को न खो बैठें।। सोच कर यही जहन घबरा रहा है, कहीं मोतियों के चक्कर में, फरिश्तों को गवां न बैठें।। ©BINOदिनी #जज़्बात_ए_आशना