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बचपन की गलियाँ अब सड़कें बन गई है। ख़ाली मैदानों म

बचपन की गलियाँ अब सड़कें बन गई है।
ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है।

वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे 
खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहाँ खड़ा है।

अब पहचान में नहीं आते लोग मेरे शहर के। 
सुना है भीड़ बहुत बढ़ गई है।

सचमुच में पहचान नहीं आते लोग मेरे शहर के 
अब सच्चाई भी तो घट गई है।

मेरा वह स्कूल जहाँ बचपन में मैं पढ़ा करती थी। 
अब बहुत बड़ा बन चुका है। 
स्कूल में आडू का पेड़ कट चुका है 

जिस पर झूल झूल हमने बचपन बिताया 
जिसने अपने फलों से हमारी भूख को मिटाया।

वह बड़ा स्कूल जहाँ जाने के सपने मैं देखा करती थी। 
वह भी बहुत बदल चुका है इमारत भी दोगुनी हो चुकी हैं।

बचपन की अब कुछ यादें ही शेष है 
यही तो मेरे जीवन में सबसे विशेष हैं।

सचमुच 'अनाम' शहर बदल  गया है
वह अब और भी बड़ा शहर बन गया है। चलो तुम्हें मेरे शहर में लिए चलती हूं



बचपन की गलियां अब सड़कें बन गई है।
ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है।

वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहां खड़ा है।
बचपन की गलियाँ अब सड़कें बन गई है।
ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है।

वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे 
खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहाँ खड़ा है।

अब पहचान में नहीं आते लोग मेरे शहर के। 
सुना है भीड़ बहुत बढ़ गई है।

सचमुच में पहचान नहीं आते लोग मेरे शहर के 
अब सच्चाई भी तो घट गई है।

मेरा वह स्कूल जहाँ बचपन में मैं पढ़ा करती थी। 
अब बहुत बड़ा बन चुका है। 
स्कूल में आडू का पेड़ कट चुका है 

जिस पर झूल झूल हमने बचपन बिताया 
जिसने अपने फलों से हमारी भूख को मिटाया।

वह बड़ा स्कूल जहाँ जाने के सपने मैं देखा करती थी। 
वह भी बहुत बदल चुका है इमारत भी दोगुनी हो चुकी हैं।

बचपन की अब कुछ यादें ही शेष है 
यही तो मेरे जीवन में सबसे विशेष हैं।

सचमुच 'अनाम' शहर बदल  गया है
वह अब और भी बड़ा शहर बन गया है। चलो तुम्हें मेरे शहर में लिए चलती हूं



बचपन की गलियां अब सड़कें बन गई है।
ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है।

वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहां खड़ा है।