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तुम जानते हो फिर भी सवालात करते हो, कहते हो बुरा ह

तुम जानते हो फिर भी सवालात करते हो,
कहते हो बुरा है फिर भी वही बरताब करते हो।

की है खबर तुम्हें मुझे रोना नहीं आता है,
फिर भी यही तुम वारदात करते हो।

जानकर भी की बुरा लगता होगा हमको भी,
ना जाने क्यों फिर वही काम करते हो।

नारी हूं ना मैं पर अबला नहीं हूं मैं जानते हो तुम,
फिर भी जानकर भी सब अनजान करते हो।

की कह तो सकती हूं आवाज मेरी बुलंद है बहुत,
खैर तुम ही सोचो की क्या अंजाम करते हो?

बड़े अच्छे हो क्या कहो तुम की बुराई नहीं तुम में,
क्यों हमेशा देकर हवाला दुनिया का मुझे बदनाम करते हो।

शक्ति हूं ना पूजी जाती आई हूं तुम्हारे ही आंगन में सदा,
पर जो तुम्हारे घर ही जन्मूं तो क्यों शमा को हराम करते हो?

खबर है तुम्हें भी की बहुत रोती हूं चुपके से,
क्यों फिर तुम इन मोतियों को सरेआम करते हो?

छुपना तो सीखा ही नहीं मैने जन्म भी खुलेआम लिया था,
फिर क्यों तुम मेरा कैद में कत्ल ए आम करते हो?

सुनो आदर्शों की चिता जलाने वाले,
क्यों उन आदर्शों का ही दम महफिल में भरे दरबार भरते हो?

चिंगारी हूं आग लगा दूंगी मेरी चुप्पी पर ना जाना,
क्यों इस आग की क्षमता का नहीं इजहार करते हो।

©Consciously Unconscious #ZulmKabTak 
तुम जानते हो फिर भी सवालात करते हो,
कहते हो बुरा है फिर भी वही बरताब करते हो।

की है खबर तुम्हें मुझे रोना नहीं आता है,
फिर भी यही तुम वारदात करते हो।

जानकर भी की बुरा लगता होगा हमको भी,
तुम जानते हो फिर भी सवालात करते हो,
कहते हो बुरा है फिर भी वही बरताब करते हो।

की है खबर तुम्हें मुझे रोना नहीं आता है,
फिर भी यही तुम वारदात करते हो।

जानकर भी की बुरा लगता होगा हमको भी,
ना जाने क्यों फिर वही काम करते हो।

नारी हूं ना मैं पर अबला नहीं हूं मैं जानते हो तुम,
फिर भी जानकर भी सब अनजान करते हो।

की कह तो सकती हूं आवाज मेरी बुलंद है बहुत,
खैर तुम ही सोचो की क्या अंजाम करते हो?

बड़े अच्छे हो क्या कहो तुम की बुराई नहीं तुम में,
क्यों हमेशा देकर हवाला दुनिया का मुझे बदनाम करते हो।

शक्ति हूं ना पूजी जाती आई हूं तुम्हारे ही आंगन में सदा,
पर जो तुम्हारे घर ही जन्मूं तो क्यों शमा को हराम करते हो?

खबर है तुम्हें भी की बहुत रोती हूं चुपके से,
क्यों फिर तुम इन मोतियों को सरेआम करते हो?

छुपना तो सीखा ही नहीं मैने जन्म भी खुलेआम लिया था,
फिर क्यों तुम मेरा कैद में कत्ल ए आम करते हो?

सुनो आदर्शों की चिता जलाने वाले,
क्यों उन आदर्शों का ही दम महफिल में भरे दरबार भरते हो?

चिंगारी हूं आग लगा दूंगी मेरी चुप्पी पर ना जाना,
क्यों इस आग की क्षमता का नहीं इजहार करते हो।

©Consciously Unconscious #ZulmKabTak 
तुम जानते हो फिर भी सवालात करते हो,
कहते हो बुरा है फिर भी वही बरताब करते हो।

की है खबर तुम्हें मुझे रोना नहीं आता है,
फिर भी यही तुम वारदात करते हो।

जानकर भी की बुरा लगता होगा हमको भी,