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|| श्री हरि: || 51 - वन की ओर 'राम! अपने छोटे भा

|| श्री हरि: ||
51 - वन की ओर


'राम! अपने छोटे भाई को साथ ही रखना बेटा! इसे धूप में मत घूमने देना। तुम लोग यमुना में मत उतरना। देखो, पेड़ पर कोई न चढ़े भला और परस्पर झगड़ना भी मत। कन्हाई की संभाल रखना लाल।' मैया को पता नहीं कितनी सूचनाएं देनी हैं। उसका नीलसुंदर वन की ओर जा रहा है। इसे किसी प्रकार रोका नहीं जा सकता। धक-धक कर रहा है मैया का हृदय।


श्यामसुंदर को शीघ्रता है और दाऊ तो प्रस्तुत भी हो गया। सखाओं में कुछ भीतर आ गये हैं और कुछ द्वार पर से पुकार रहे हैं। अब मैया की सूचनाएं कहाँ सुनते हैं ये दोनों।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 51 - वन की ओर 'राम! अपने छोटे भाई को साथ ही रखना बेटा! इसे धूप में मत घूमने देना। तुम लोग यमुना में मत उतरना। देखो, पेड़ पर कोई न चढ़े भला और परस्पर झगड़ना भी मत। कन्हाई की संभाल रखना लाल।' मैया को पता नहीं कितनी सूचनाएं देनी हैं। उसका नीलसुंदर वन की ओर जा रहा है। इसे किसी प्रकार रोका नहीं जा सकता। धक-धक कर रहा है मैया का हृदय। श्यामसुंदर को शीघ्रता है और दाऊ तो प्रस्तुत भी हो गया। सखाओं में कुछ भीतर आ गये हैं और कुछ द्वार पर से पुकार रहे हैं। अब मैया की सूचनाएं कहाँ सुनते हैं ये दोनों। #Books

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