पर्यावरण दिवस विशेष दोहे पंच तत्वों पर लिखने की कोशिश पंचतत्व ब्रह्मांड है पंच तत्व की देह। बिगड़ रहा पर्यावरण,गर्मी सर्दी मेह।। छिद्र बड़ा ओज़ोन में, रुदित धरा #आकाश। बढ़े प्रदूषण गैस से, होता सृष्टि विनाश।। आज #हवा की दास्तां,धूम्र ग्रसित चहुॅं ओर। पेड़ काटते हम स्वयं,हम मालिक ही चोर।। #पावक देना चाहिए, ऊर्जा और प्रकाश। किंतु ताप भू दे रही ,मनुज समझ लें काश।। #जल दोहन नित हो रहा, संरक्षण हो नीर बहुत प्रदुषण जल बढ़ा,मनुज समझ यह पीर।। बिगड़ रहा पर्यावरण, #भू पर कर उपकार। हरे पेड़ पर्वत नदी,लौटा दो श्रृंगार। वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal #WorldEnvironmentDay