# तब गांव हमे अपनाता है =========== प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिए पेड़ , पौधे को उत्पति में लग्न से जीव , जंतुओं के घुल मिल कर रहते हैं "तब गांव हमे अपनाता है".... अपनी पेट में भूख लिए खेतो में हंसते खेलते अन्न उपजाते है। मेरे घर में पल रहे वो जानवर भूखा ना रह जाए ये सोचकर अपनी भूख भूल जाते हैं "तब गांव हमे अपनाता है".... कोई समाज में कष्ट ना काटे कोई भूखा ना सो जाएं। किसी का छप्पर गिर गया तो एक बुलावे में हाजिर हो जाऊ "तब जाकर गांव हमे अपनाता है" दुःख हो सुख या कोई भी हो संकट जब भीड़ का हिस्सा बन पाओ "तब गांव हमे अपनाता है" ^^°°°°°°°°^^^^^^^°°°°°°^^^^^^^ मौलिक एवं स्वरचित रचना प्रहलाद मंडल कसवा गोड्डा, गोड्डा, झारखंड ई -मेल - mprahlad2003@gmail.com #villege_life_best_life #LightsInHand