बस्ती वस्ती, शहरें वहरें, क्या क्या मिट्टी हो जाना हैं! धीरें - धीरें करके एक दिन सारा मिट्टी हो जाना हैं। रस्ते सबके अलग-अलग हैं, ज़रिया बेशक़ जुदा-जुदा लेकिन इसकी आख़िरी मंज़िल सबका मिट्टी हो जाना हैं। सबकी तासीरें बदलेगी, सबका ओहदा बदलेगा, सहरा दरिया हो जाना है , दरिया मिट्टी हो जाना हैं। ©Daulat roy 'vairagi' #khaak