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घर तो लौटूंगी पर किसके लिए मेरे इंतेज़ार में कोई ब

घर तो लौटूंगी पर किसके लिए
मेरे इंतेज़ार में कोई बैचेन ना होगा।
ये भूख बड़ी बेदर्द है
इसलिए मैं खाऊंगी जरूर
पर मेरे खाने तक कोई भूखा ना होगा।
मैं सबरूंगी सातो सृंगार से
पर उसे चाहत के नज़रों से
निहारने बाला कोई ना होगा।
है एक दिल उसे संजोए रखी हूं कबसे
पर उसके कदर में कोई ना होगा।
मेरे जिस्म में दाग हज़ार है
वो दर्द को देखने बाला कोई ना होगा।
मैं बाजारू हूं कीमत लगती है मेरी
पर मुझे कीमती बोलने बाला कोई ना होगा।
मुझे बेआवरू करने में मर्दानगी समझने वाले
आबरू बचाकर मर्द बनने बाला कोई ना होगा। #yqbaba#yqdidi#औरत#इज्ज़त#yqdidi#hindikabita#yqquotes
घर तो लौटूंगी पर किसके लिए
मेरे इंतेज़ार में कोई बैचेन ना होगा।
ये भूख बड़ी बेदर्द है
इसलिए मैं खाऊंगी जरूर
पर मेरे खाने तक कोई भूखा ना होगा।
मैं सबरूंगी सातो सृंगार से
पर उसे चाहत के नज़रों से
निहारने बाला कोई ना होगा।
है एक दिल उसे संजोए रखी हूं कबसे
पर उसके कदर में कोई ना होगा।
मेरे जिस्म में दाग हज़ार है
वो दर्द को देखने बाला कोई ना होगा।
मैं बाजारू हूं कीमत लगती है मेरी
पर मुझे कीमती बोलने बाला कोई ना होगा।
मुझे बेआवरू करने में मर्दानगी समझने वाले
आबरू बचाकर मर्द बनने बाला कोई ना होगा। #yqbaba#yqdidi#औरत#इज्ज़त#yqdidi#hindikabita#yqquotes