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जब रिश्ते एक-दूजे की ख़ुशी में ही ख़ुशियाँ देखने लग

जब रिश्ते एक-दूजे की ख़ुशी में ही ख़ुशियाँ देखने लग जाए तो रिश्ते फ़रिश्ते-से हो जाते हैं क्योंकि ये रिश्ते उस एहसास का पर्याय होते हैं, जो दिल से निभाये जाते हैं। भले शारीरिक रूप से कोई रिश्ते न निभा पाए पर मन से निभाए गए रिश्ते भी इन शारीरिक रिश्तों से भी अधिक भूमिका निभाते है उस इंसान के दिल में जगह बनाने के लिए।

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET " #जीतकीनादानकलमसे #जबरिश्ते 

#PoetInYou
जब रिश्ते एक-दूजे की ख़ुशी में ही ख़ुशियाँ देखने लग जाए तो रिश्ते फ़रिश्ते-से हो जाते हैं क्योंकि ये रिश्ते उस एहसास का पर्याय होते हैं, जो दिल से निभाये जाते हैं। भले शारीरिक रूप से कोई रिश्ते न निभा पाए पर मन से निभाए गए रिश्ते भी इन शारीरिक रिश्तों से भी अधिक भूमिका निभाते है उस इंसान के दिल में जगह बनाने के लिए।

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET " #जीतकीनादानकलमसे #जबरिश्ते 

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