धरा से निकला बीज यहाँ कौन जाने क्या रुप धरे , धीरे धीरे विकसित होकर ना जाने किस ओर मुडें | ऋतु के थपेडो से हो प्रभावित उसका फ़िर एक रूप ढले , हर मुश्किल को सहकर फ़िर उसका फ़िर एक वजुद बने | by:-akshita jangid (poetess) बीज #nojoto#tst #nojotohindi #poetry#seed