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# #Anframed राघव और सुजाता के प्य | Hindi Video

#Anframed राघव और सुजाता के प्यार के चर्चे ,दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है। कि जब हम कभी रास्ता भटक जाएं। तो हमारे हमारे परिवार वाले यह हमारे घर के सदस्य जो हमारे सबसे बड़े सपोर्टर होते हैं वह हमें किस प्रकार से समझाते हैं। तो जाहिर सी बात है कि उनके समझाने पर निर्भर करता है। जिस तरीके से सुजाता के बाबूजी ने सुजाता को समझाया और सुजाता को अपने पास बुलाया और बैठाया और उसे प्यार से समझाया  उसको डांटने और फटकार ने के बजाय उन्होंने अपनी बेटी को प्यार से समझाया और बेटी को भी अपने पापा की हर बात समझ में आ गई और बेटी ने वही किया जो मां-बाप के लिए अच्छा था और समाज के लिए और उसके लिए भी अच्छा था इसलिए जब भी हमारे बच्चे इधर उधर हो जाएं रास्ता भटक जाएं तो हम डांटने फटकार ने आने के बजाय उनको आराम से बैठकर उनको प्यार से समझा सकते हैं। अगर उन्हें प्यार से बातें समझ में नहीं आएगी तो फिर उन पर जोर जबरदस्ती या बल का प्रयोग करके बेकार है। बल का प्रयोग करके उनको सुधारा नहीं जा सकता है। दोस्तों और सुजाता ने भी अपने बाबू जी की बात मानी तो आज वह खुद अपने पैरों पर खड़ी है और आज समाज भी उसे स्वीकार एगा वह कुछ भी करना चाहेगी तो कर सकती हैं चाहे अगर वह चाहे तो अदर कास्ट में भी अपना प्रेम प्रसंग या शादी विवाह जो भी कर सकती हैं अन्यथा जब भी कोई कमजोर इंसान होता है तो समाज भी उसी पर अपना बल का अपने बल का प्रयोग करता है इसलिए  सबसे पहले पढ़ाई उसके बाद इश्क मोहब्बत प्यार और फिर सबसे बाद में सगाई।  Madhusudan Priyanka Mulkhede Ramniwas Pilania Welder Yaduvanshi Yadavji Nimmi Mishra
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rolisingh

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#Anframed राघव और सुजाता के प्यार के चर्चे ,दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है। कि जब हम कभी रास्ता भटक जाएं। तो हमारे हमारे परिवार वाले यह हमारे घर के सदस्य जो हमारे सबसे बड़े सपोर्टर होते हैं वह हमें किस प्रकार से समझाते हैं। तो जाहिर सी बात है कि उनके समझाने पर निर्भर करता है। जिस तरीके से सुजाता के बाबूजी ने सुजाता को समझाया और सुजाता को अपने पास बुलाया और बैठाया और उसे प्यार से समझाया उसको डांटने और फटकार ने के बजाय उन्होंने अपनी बेटी को प्यार से समझाया और बेटी को भी अपने पापा की हर बात समझ में आ गई और बेटी ने वही किया जो मां-बाप के लिए अच्छा था और समाज के लिए और उसके लिए भी अच्छा था इसलिए जब भी हमारे बच्चे इधर उधर हो जाएं रास्ता भटक जाएं तो हम डांटने फटकार ने आने के बजाय उनको आराम से बैठकर उनको प्यार से समझा सकते हैं। अगर उन्हें प्यार से बातें समझ में नहीं आएगी तो फिर उन पर जोर जबरदस्ती या बल का प्रयोग करके बेकार है। बल का प्रयोग करके उनको सुधारा नहीं जा सकता है। दोस्तों और सुजाता ने भी अपने बाबू जी की बात मानी तो आज वह खुद अपने पैरों पर खड़ी है और आज समाज भी उसे स्वीकार एगा वह कुछ भी करना चाहेगी तो कर सकती हैं चाहे अगर वह चाहे तो अदर कास्ट में भी अपना प्रेम प्रसंग या शादी विवाह जो भी कर सकती हैं अन्यथा जब भी कोई कमजोर इंसान होता है तो समाज भी उसी पर अपना बल का अपने बल का प्रयोग करता है इसलिए सबसे पहले पढ़ाई उसके बाद इश्क मोहब्बत प्यार और फिर सबसे बाद में सगाई। Madhusudan Priyanka Mulkhede Ramniwas Pilania Welder Yaduvanshi Yadavji Nimmi Mishra

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