चार दिन का खौला- रौला छन ज्वनी का झुठि- सच्ची, गुस्सा- नस्सा छन तनि का कैकि सूणा अर कैकि ना, मन मनख्यों का छन यख बन बनी का मनख्यों कि ईं भीड़ मा मित भरि रंगस्याणू छौं मेरि भी अपणी गंगा चा, मित अफ्वी बगाणु छौं..।। - राहुल #meremankiawaj