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गीत तुम हमारे हम तुम्हारे मीत दिल से हैं, सोच ले

गीत

तुम हमारे हम तुम्हारे मीत दिल से हैं,
सोच ले ऐसी निकलते गीत दिल से हैं।।

हो अगर गुस्सा तनिक तो मान जाओ न,
प्रीति भर अंतर् में मेरे गीत गाओ न।
यह लगेगा सच में हम संगीत दिल से हैं,
तुम हमारे हम तुम्हारे मीत दिल से हैं।।

हम तुम्हारी ही मदद से आगे बढ़ते हैं,
प्रिय तुम्हारी प्रतिक्रिया से गीत गढ़ते हैं।
जो भी लिखते हम सहज अनुगीत दिल से हैं,
तुम हमारे हम तुम्हारे मीत दिल से हैं।।

दर्द दिल में पलते मेरे अरु तुम्हारे भी,
तुम हमारे मीत हो प्रिय दिल से प्यारे भी।
मान लो यदि तुम हमें मनमीत दिल से हैं,
तुम हमारे हम तुम्हारे मीत दिल से हैं।

©सतीश तिवारी 'सरस' #एक_गीत