|| श्री हरि: ||
73 - श्याम पहले जगा
'श्यामसुंदर। उठ लाल। देख तो कितना सवेरा हो गया। देख तेरा मयूर आंगन में कैसा नाच रहा है।' मैया बहुत धीरे-धीरे हाथ फेर रही है मोहन के शरीर पर। वह बार-बार रुक जाती है - अभी जगाये या न जगाये? किंतु देर होने पर यह ठिकाने से कलेऊ भी नहीं करता।
एक ही शय्या पर नीलाम्बर ओढे दाऊ और पीतपट ओढे श्याम सो रहे हैं। मैया चाहती है कि अब दोनों पृथक सोना सीखें, पर कन्हाई को बड़े भाई के बिना नींद ही नहीं आती।
'देख तो कितनी देर से बेचारे ये नन्हें पक्षी तुझे पुकार रहे हैं। कितने सुन्दर पक्षी आये हैं आज। तेरी कामदा बुला रही है तुझे।' मैया धीरे-धीरे पुकार रही है। #Books