उन सुकून भरी शामो को आज भी याद करती हू तो आज भी मेरे हाथ पे तेरा हाथ मेहसूस करती हू ढलते हुए सूरज का सुकून हो या वह ठंडी हवाए फिर से उन शामो की तलाश करती हू उन शामो का वह खुस्नुमा मौसम हो या हमारा गुन गुनाना दिल के किसी कोने मे आज भी उसका इन्तजार करती हू तुम्हारी हाथो की बनी वह चाय हो या वह बातो की मिठास उन हसीं शामो को आज भी याद करती हू ... #thirdquote #सुकून #शामकीबातें