दिल में जब उन की मोहब्बत होगी हर किसी को मेरी चाहत होगी महफिले शेरो सुख़न में आओ बा ख़ुदा आप को इबरत होगी हम ना करते हैं बड़ों का ही अदब इस से क्या बढ़के जहालत होगी आयतल कुर्सी जो सोया पढ़ कर उस की शैताँ से हिफाज़त होगी दिल में उम्मीद लिये बैठे हैं एक दिन उन की ज़ियारत होगी वक़्त इक दिन तो वो भी आयेगा बे हया लोगों की कसरत होगी बज़्मे अकरम में वो ही आयेगा जिस को अकरम से मोहब्बत होगी [[ अकरम तिलहरी की शायरी ]]