ये वो देश है जो रंगों को भी बाँट देता है, जात या पात क्या अपनो को भी बाँट देता है, इस बदलते देश की हालत देखो कवियों, अपनी समशीर फिर अब उठाओ कवियों, ना अब तुम केवल खुशामदी या जुम्ले लिखो गीतों में, वक़्त की माँग है सत्यार्थ लिखो गीतों में, महाप्राण निराला की तड़प है कविता, बाबा नागार्जुन का विरोध है कविता, इन कविताओं में दिनकर की क्रोध अग्नि है, इन कविताओं में महाकवि कालिदास की दिव्य वाणी है, ऐसी परम्पराओं को तुम ना बादलों कवियों, जो हर युग मे तुम थे उसी युग मे तुम बादलों कवियों, ना तुम केवल लोभ या मनोरंजन लिखों गीतों में , वक़्त की माँग है सत्यार्थ लिखो गीतों में।।। #continues...