हवा देकर चिंगारी को सारे शहर में किसने ये आग लगाई है, बात ज़रा सी की तो थी जाने किसने राई का पहाड़ बनाई है। झूठी अफ़वाहें उड़ती रहती है इन पर भला किसका जोर अब , आज तुझसे कल किसी और से होगी मेरी ये खोखली लड़ाई है। मैं तो अदना सा इंसान था फिर किसने बातों में उलझा दिया, याद नहीं कब किसने और क्यों ये ज़हर भरी हुई बातें सिखाई है। मेरे सीने में जलती आग पता नहीं कब दूसरों का घर जला गई , उसी जलती-बुझती राख पर मैंने अपने सपनों की सेज सजाई है। #rzmph #rzmph68 #latenightthoughtbazaar #रात्रिख़्याल