आँचल नवजात कली खिलने से पहले है मुरझाई.. उस आँचल को.. जरा भी दया रहम न आई.. फेंक दिया कूड़ेदान में.. मरने को...पर मौत निगोड़ी न आई.. तड़फ रही कली मासूम.. करे रूदन चित्कार.. कैसा ये जमाना आया.. कहाँ गया वो आँचल का दुलार.. संवेदनहीनता का परिचय.. देती मानवता आज.. स्व अंश को नष्ट करे वह.. कहाँ बची है अब लाज.. क्या गुनाह उस मासूम का.. क्यों मिलता सिर्फ बेटे को ताज.. कहाँ गया वह.. करूणामयी ममता का आँचल.. तार-तार हुआ अब... बेटे की चाहत में वह आँचल... #anchal