हाफ डे की छुट्टी। ●●●●●●●●●● मिलता है सब कुछ,बस नही मिलती तो वो,हाफ डे की छुट्टी। महीने का आखिरी दिन, इंतज़ार बड़ा रहता था। तख्ती पे तख्ती, तख्ती पे दाना, गाना भी होता था। बस्ते के बोझ से थोड़ा सा, हल्के भी हो लेते थे। महीने की उस, आखिरी तारीख का इंतज़ार भी बड़ी, शिद्दत से करते थे। पीरियड भी 8 से 4, ही रह जाते थे। हाफ डे का वो मजा भी, भरपूर उठाते थे। अब तो फुल टाइम, फुल डे स्कूल होता है। बाकी कुछ बचा तो,बच्चा ट्यूशन में, किताबी बोझ ढ़ोता है। बस्तों का वजन,अब बच्चे के वजन से, ज्यादा होता है। भाई साहब, हाफ डे तो, पहले था। अब कहाँ हॉफ डे, होता है।-नेहा शर्मा हॉफ डे।