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मेरे वजूद को मिटाना चाहता है बता तू क्या जताना चा

 मेरे वजूद को मिटाना चाहता है
बता तू क्या जताना चाहता है..

मै औरत हूँ तेरे हाथों की कटपुतली नहीं
इशारों पर क्यूँ नचाना चाहता है..

मेरे सपनों के पर कुतरता है तू धीरे धीरे
मुझे अपंघ क्यूँ बनाना चाहता है..

मुझसे ही जन्मा है मुझमें ही पनपा है तू 
फ़िर भी मुझको हराना चाहता है..

©Akhilesh dubey
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