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जब लाखो ठोकरें, क़िस्मत के नाम हो गयी तब जा कर लौ

जब लाखो ठोकरें, क़िस्मत के नाम हो गयी 
तब जा कर लौ बदले की, सरेआम हो गयी 

मशरूफ़ थी झंझा की, उन तीव्र घटाओं से 
फिर भी किस्मत  के आगे, बदनाम हो गयी 

हज़ारों लाखो कोशिशे की उठ खड़े होने की
जर्जर किस्मत के आगे,सब नाकाम हो गयी

निराशा से भर गयी, वो नब्जें  आशाओं की
जो तकदीर के आगे मेहनत विराम हो गयी

विघात हुई वासना की, वो पोटली इस कदर
निस्तब्धता में भी जोरों का,कोहराम हो गयी समस्त मौन है, तो फिर  ये आहट कैसी
सुस्थिर है शरीर,फिर सनसनाहट कैसी

______________✨______________

चैन को  संजोना था, हमने  गमो पर  ध्यान दिया
इसलिए किस्मत ने,हमे लकीरों से अनजान किया
जब लाखो ठोकरें, क़िस्मत के नाम हो गयी 
तब जा कर लौ बदले की, सरेआम हो गयी 

मशरूफ़ थी झंझा की, उन तीव्र घटाओं से 
फिर भी किस्मत  के आगे, बदनाम हो गयी 

हज़ारों लाखो कोशिशे की उठ खड़े होने की
जर्जर किस्मत के आगे,सब नाकाम हो गयी

निराशा से भर गयी, वो नब्जें  आशाओं की
जो तकदीर के आगे मेहनत विराम हो गयी

विघात हुई वासना की, वो पोटली इस कदर
निस्तब्धता में भी जोरों का,कोहराम हो गयी समस्त मौन है, तो फिर  ये आहट कैसी
सुस्थिर है शरीर,फिर सनसनाहट कैसी

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चैन को  संजोना था, हमने  गमो पर  ध्यान दिया
इसलिए किस्मत ने,हमे लकीरों से अनजान किया