कविता... प्रकृति की प्रखर परिभाषा है, अपनेपन की अभिलाषा है, अनंत मंगलमय अभिप्राय लिए; आस्था अर्पण की भाषा है। ---------- नव अभिव्यक्ति की आशा है, सपने संजोये जिज्ञासा है, अमृत तुल्य मंगलमय ज्ञान लिए; सर्व शब्दों का पूर्ण कासा है। ---------- प्रेम से पनपी आकांक्षा है, अलग अनूठी मीमांसा है, वंदन अभिनंदन के भाव लिए; हमारी भगाती निराशा है। ---------- हास्य में रंगीन तमाशा है, उत्तेजित मन का खुलासा है, अनुभवों के अमिट वर्णन लिए; मानव धर्म की परिभाषा है। ©Anand Dadhich #विश्वकवितादिवस #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsof2022 #hindipoetry #WorldPoetryDay