अलविदा अधूरे से ख्वाब और हम भी अधूरे हैं, पूरा कैसे होता उसके बिना जो छोड़ गई थी। सपने नहीं देखता मैं अब, बस पुराने टूटे सपनों को याद करता रहता हूँ। मेरे लिए, उसके लिए जो ख्वाब बुने थे, वो अब हलके से झटके से टूट गए हैं। क्या इतना कमजोर था, हमारा प्यार शायद तुम समझ नहीं पाई मुझे और मेरे प्यार को। तभी तो छोड़ दिया था तुमने, मुझसे प्यार करना, मेरी फिक्र करना, मेरे साथ घूमना, मेरे साथ सपने देखना। अब नए सपने क्या देखूं मैं, जब भी आंखें बंद करता हूं तुम्हारा चेहरा नजर आता है। नए ख्वाब तो देख नहीं पाता, शायद तुम्हारी तरह खुले विचारों का नहीं हूं तभी तो तुम्हें भुला नहीं पाया। अलविदा #hindipoetry #rahikikalamse