साँझ ये सांझ ना जाने क्यूं कभी कभी मुझे उदास कर जाता है क्या अगला सवेरा हसीन होगा इस उधेड़बुन में डाल जाता है।। संध्या की वो लालिमा आंखो को भी नम कर जाती है दिल में दबा रखा जो पुराने ज़ख्म उसे उजागर कर जाती है।। #sanjh