'मंज़िल के साथी' नम आँखें नहीं मुस्कुराते हुए चेहरे छोड़ जायेंगे, जाने से पहले, रिश्तों के टूटे तार जोड़ जायेंगे। आ-जा न सके, यादों के मकाँ इतने वीराँ नहीं, ख़ुशी के लिये उधर सुकूँ की राह मोड़ जायेंगे। मंज़िल के साथी थे, हैं और सदा ही रहेंगे हम, ये निभाने की ख़ातिर, सारे ग़ुरूर तोड़ जायेंगे। कम नहीं होंगी कोशिशें चाहे जितना हो वक़्त, सँवार रास्ते हसीं, ग़मों के पत्थर फोड़ जायेंगे। जब तक चलेंगी साँसें, यूँ साथ निभायेगी 'धुन', उतारके नज़र बलाओं का साया ओढ़ जायेंगे। Rest Zone 'मंज़िल के साथी' #restzone #rztask28 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #मंज़िलकेसाथी #life