तुमने देखा क्या बड़ा अजब सा नज़ारा दिख रहा है आज कल अरे तुमने देखा क्या ये आसमान इतना नीला तो न था ये मौसम इतना रंगीला तो न था ये चिड़िया इतना चहचहाती तो न थी माँ ऐसे लोरिया सुनाती तो न थी ये छत्तो पर जाना बढ़ क्यों रहा है पतंगों का डोर हाथ मे पड़ क्यों रहा है दादी हाथ से खाना खिला क्यों रही है किसी पुराने दोस्त की याद आ क्यों रही है एक अजब सा माहौल बन रहा है आज कल अरे तुमने देखा क्या ये लूडो का पासा खनक क्यों रहा है ये कैरम का स्टाइकर लुढ़क क्यों रहा है मार्च में सर्दी गुदगुदा क्यो रही है वो खिड़की पर पड़ोसन मुस्कुरा क्यों रही है ये जिंदगी थोड़ी सी खिलखिला सी रही है रातो में चैन की नींद आ सी रही है अलार्म की टिक टिक का झंझट नही है मंदिर की घंटी मुझे जगा रही है अचानक से मज़ा सा आ रहा है आजकल अरे तुमने देखा क्या दादी माँ ने एक खोला है राज पुराने समय मे मैं आ गयी हु आज ऐसा ही तो पहले होता था शेरा (बेटा) सुकून का था सभी घरों में डेरा पैसों के पीछे न पागल थी दुनिया प्रकृति को नतमस्तक हो जाती थी दुनिया ये जहर जो हवा में मिलाया गया है एक सबक सबको सिखाया गया है प्रकृति भी प्रेम लुटा रही है आजकल अरे तुमने देखा क्या #lockdown_3 #Kavye_Sajal