कहानी रफ कॉपी की....... जब हम सब पढ़ते थे तब हर विषय की कॉपी अलग थी..... लेकिन एक ऐसी कॉपी थी जो सब विषयों को संभालती थी.............. उसे हम कहते थे.. रफ कॉपी यूं तो रफ कॉपी का मतलब होता है खुरदुरा लेकिन वो हमारे लिए बहुत मुलायम थी .. क्यों की.. 1) उसके कवर पर हमारा कोई पसंदीदा चित्र होता था...... 2)उसके पहले पन्ने पर डिजाइन में लिखा हुआ हमारा नाम. I ............ 3)शानदार राइटिंग में लिखा हुआ पहला पेज... I 4)बीच में लिखते तो हिन्दी थे पर लगता था कि जैसे कई भाषाओं का मिश्रण हो.... I 5)अपना लिखा हुआ हम खुद ही नहीं समझ पाते थे.... रफ कॉपी में हमारी बहुत सी यादें छुपी होती थी... वो अनकहा प्रेम.. वो अनजाना सा गुस्सा.. बे मतलब के दर्द... कुछ उदासी छुपी होती थी हमारी रफ कॉपी में में कुछ ऐसे राज लिखे होते थे. जो सिर्फ और सिर्फ हमीं समझ सकते थे उसके आखिरी पन्नो पर वो राजा. मंत्री. चोर. सिपाही का स्कोर बोर्ड वो दिल छू लेने वाली शायरी..... कुछ ऐसे नाम जिन्हे मिटाने की हम सोच भी नहीं सकते थे.. मतलब के हमारे बैग में कुछ हो ना हो रफ कॉपी जरूर रहती थी..... लेकिन वो दिन हमसे दूर चले गए.... रफ कॉपी हमसे दूर चली गई शायद पड़ी होगी घर के किसी कोने में मेरी यादों को छुपाए हुए. सबकी नजरों से बचाए हुए अब ना जाने कहाँ होंगे वो दोस्त ना जाने कहाँ होंगी वो यादें अभी उस रफ कॉपी में कई राज कई सवाल हैं जिनका हिसाब अभी अधूरा है....... #बचपन_की_दोस्त #रफ_काफी