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सुनों ना कुछ याद आया वो धार लगाना कुल्हाड़ी में वो

सुनों ना कुछ याद आया
वो धार लगाना कुल्हाड़ी में
वो आग लगाना मेरी फुलवारी में,
काट चीर कर हिस्सा मेरा,
पैसा कमाने का किस्सा तेरा...

शायद दर्द मुझे भी हुआ होगा,
अपनों को मैने भी  खोया होगा..
बता मेरा कसूर क्या था,
शायद समय को मंजूर ये था.

पर देख मैं फिर भी तेरा
हर पल मददगार ही हूँ
जन्म से लेकर शमशान तक
तेरे साथ बरकरार ही हूँ

जो धन कमाया मेरा हिस्सा बेचकर
उससे मेरा ही उपहार खरीद
ना खत्म कर मुझे अब सम्भाल जा
कुल्हाडी बेच और कुदाल खरीद

©NaVin rai save tree save life

#tree
सुनों ना कुछ याद आया
वो धार लगाना कुल्हाड़ी में
वो आग लगाना मेरी फुलवारी में,
काट चीर कर हिस्सा मेरा,
पैसा कमाने का किस्सा तेरा...

शायद दर्द मुझे भी हुआ होगा,
अपनों को मैने भी  खोया होगा..
बता मेरा कसूर क्या था,
शायद समय को मंजूर ये था.

पर देख मैं फिर भी तेरा
हर पल मददगार ही हूँ
जन्म से लेकर शमशान तक
तेरे साथ बरकरार ही हूँ

जो धन कमाया मेरा हिस्सा बेचकर
उससे मेरा ही उपहार खरीद
ना खत्म कर मुझे अब सम्भाल जा
कुल्हाडी बेच और कुदाल खरीद

©NaVin rai save tree save life

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navinrai4141

NaVin rai

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