तड़प - 2 #NojotoQuote जाम हटने वाला हैं शायद ....archu असमंजस में थी क्या करे अब जाये या रुके । एक बार फ़िर आवाज़ आई मैडम अन्दर बैठ जाइये ऐसे खड़ी हैं आप अच्छा नही लगता पर archu को जैसे कुछ सुनाई ही नही दिया , अनेको विचार उसके दिमाग में कौंध रहे थे , आज फ़िर देर हो गईं , कब तक हटेगा ये जाम , एंबुलेंस में कौन होगा और वो लड़का कर क्या रहा हैं .... फ़िर से एक बार हॉर्न की आवाज़ आई और archu अपने विचारो से बाहर आई , झट से अन्दर बैठ गईं और ड्राइवर ने गाड़ी थोड़ी आगे की , फ़िर पीछे सड़क के नीचे करने की कोशिश करने लगा , archu ने पूछा क्या कर रे हो भइया ये देर हो जाएगी बेहद । ज़वाब मिला -मैडम पीछे ना जाने कौन हैं phle उसे निकल जाने दें वो ज़्यादा ज़रूरी हैं archu को एक ' ' ' तड़प' सी महसूस हुई अपने मन में , ये वो क्यूं नही सोच पाई और बाहर देखने लगी इस बार वो लड़का अकेला नही था कुछ और लड़के -लड़किया रास्ता क्लियर करवाने में लगे थे उन्हें देखकर लगने लगा archu को वो भी चले जाये उनके बीच पर वो उलझन में ही फ़सी rhi और जब तक फैसला लिया जाने का जाम हट चुका था वो लड़का रेंगती हुई गाड़ियों के बीच हर मदद करने वाले से हाथ मिला कर धन्यवाद कर रहा था... धीरे धीरे गाड़ियों ने रफ्तार पकड़ ली archu की कार काफ़ी पीछे थी उसके आगे एंबुलेंस थी अब, उसने देखा वो लड़का एंबुलेंस के पीछे भाग रहा था कोई क़रीबी था उसमें शायद उसका , उसने उस एंबुलेंस को रुकवाया नही एक एक पल बेहद कीमती था उसके लिये , archu ने सोचा ड्राइवर से कहे और लिफ्ट दे दे उसे पर फ़िर वही की क्या बोले कार तो उसकी नही हैं , उसकी सहकर्मी क्या बोलेगी और ऑफिस में ढिंढोरा पीट दिया उसने तो और इन सवालों में उलझ गईं और कार उस लड़के से आगे निकल गईं archu ने पलट कर उस लड़के को देखा उसकी आँखों में एक तड़प थी , किसी को खो देने का डर , उसे देख archu के ज़हन में एक पल के लिये ये ख़याल आया अगर उसकी जगह वो होती और एंबुलेंस में उसका कोई अपना , क्या इतनी हिम्मत होती उसमें और वो कांप गईं बस इस विचार से ... सिग्नल आ गया एंबुलेंस भी रुकी थी और काफ़ी गाड़ियां भी , वो लड़का भी किसी से लिफ्ट ले कर वहां तक पहुंच चुका था वो एंबुलेंस में चला गया ..और archu ऑफिस ...सारा दिन archu के सामने वो सारी बाते एक फिल्म की trह घूमती रही और एक तड़प होती rhi की क्यूं वो देख नही पाई की एंबुलेंस में कौन हैं , जाम हटवाने में मदद कर सकती थी वो और इंसानियत के नाते ही लिफ्ट तो देना ही था उसे .... ये सच हैं की हम अगर किसी की मदद नही करते कोई और कर देता हैं ये दुनिया सिर्फ़ हमारे दम पर नही चलती , कोई मुसीबत में हो एक नही हजारो हाथ आ जाते हैं कई बार पर जब उन हजारो में हम नही होते , सिर्फ़ स्वयं में उलझे होते हैं उचित समय पर तय नही कर पाते क्या करना चाहिए तब समय निकल जाने का सिर्फ़ अफसोस होता हैं और तड़प जीवन पर्यन्त ... महीनों बीत गए इस घटना को पर जब भी बस से , कार से उस jgh से गुज़रती हैं archu उस लड़के की तलाश रहती हैं , ताकी पूछ सके सब ठीक हैं ना .. एंबुलेंस की आवाज़ से आज भी दिल तड़प जाता हैं उसका और एक छटपटाहट होने लगती हैं .....