सरहद के पहरेदारों ने अपनी जान की बाज़ी लगायी हैं... सिना ताने सरहद पर खड़े मजबूत दिवार बनाई हैं रग रग में उनके मात्रृभूमी का प्रेम बहता हैं... दम तोड़ते हुए भी हर एक जवान आख़िर सिर्फ "जय हिंद"ही कहता हैं दिदी धन्यवाद आपके इस पोस्ट के लिये 🙏🏻 💯 %सही है की हम आज BSF की बदौलत ही अमन और चैन से जी रहे हैं। Novhembar में कश्मीर जाना हुआ। वहाँ का माहौल और द्रास कारगील लेह में घूमते हुए ये बात सही मायने में समझ आती हैं। यहाँ से समझना बहुत मुश्किल हैं। उनमें कोई हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई नहीं होता, सिर्फ एक-दुसरे के साथी होते हैं। धरती माँ के सुपुत्र होते हैं। वहाँ की थंडी, ऊँचाई, आँक्सीजन की कमी और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ी पर वो लोग पैदल घूमते रहते हैं। - 10 - 20 के तापमान में। महीनों उनके घरवालों को खबर नहीं होती की वो लोग जिंदा भी हैं या नहीं। ना उन जवानों को खबर होती हैं की उनके घरवाले, माँ बाबा ठीक है के नहीं। हमारे सौभाग्य से एक रीटायर्ड कारगील वाॅरीयर से बात हो गयी और तब समझ आयी उनकी कुछ कुछ मुश्किलें। सुनकर आँखें भर आयी। झूककर पैर छूये मैंने उनके। सच में सरहद के पहरेदारों को कोटी कोटी प्रणाम!!! 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 Rashmi आप सभी को #बीएसएफ़डे की हार्दिक बधाई।