लम्बे चुने थे पथ तब, मोहब्बत मज़िल से थी, गहराई ना थी मालूम, चाहत साहिल से थी दिमाग़ मे जोश अधिक, और होश कम था, मन सपनो से घिरा, और हकीकत से रोब कम था, वक़्त के साथ होश जीवन का अधिक, और जोश कम हो रहा हैं, इश्क़ मे परिपक्व दिल अधिक, और खिलाफती कम हो रहा हैं, अब मंज़िल खो गयी हैं, और रास्तों से मोहब्बत हो रही हैं, शरीर ढल रहा हैं, और आत्मा सज रही हैं, ©Prem kumar gautam #Twowords #mazil #Love