Nojoto: Largest Storytelling Platform

हा मैं गरीब हु।

हा मैं गरीब हु।                                                                       रोटी के कुछ टुकड़ो में ही अपनी जिंदगी गुजार लेना मुनासिब समझता हूं,साहब।                                                              कहाँ सपने देखे अमीरो वाले,हमारी जिन्दगी ने तो हमारी मजबूरियों को ही गले लगाना सिख लिया है।

                                -@Harsh #Art #Quotes #Art
हा मैं गरीब हु।                                                                       रोटी के कुछ टुकड़ो में ही अपनी जिंदगी गुजार लेना मुनासिब समझता हूं,साहब।                                                              कहाँ सपने देखे अमीरो वाले,हमारी जिन्दगी ने तो हमारी मजबूरियों को ही गले लगाना सिख लिया है।

                                -@Harsh #Art #Quotes #Art
harshsingh1427

Harsh Singh

New Creator