तुझसे मुलाकात मेरी, फ़िर करा आई है देख ! यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है | होने को तो, बहुत दूर था ना तु मुझसे पर देख, वो तुझे अब कितना पास ले आई है | यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है......!! अनकही जो सारी बाते थी तेरी, आज बेवजह वो सब सुन आई है | यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है......!! किस्सा तेरा जो अधुरा था कभी अब उसे वो पूरा सा कर आई है | यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है.....!! रातो को, जो दिन सा महकाया था तुने उस हर एक बात का अहसास कर आई है | यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है...!! तुझसे मुलाकात मेरी, फ़िर करा आई है | देख ! यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है || By:-Akshita Jangid (poetess) तुझसे मुलाकात मेरी, फ़िर करा आई है देख ! यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है | होने को तो, बहुत दूर था ना तु मुझसे पर देख, वो तुझे अब कितना पास ले आई है | यह कलम तुझे फ़िर छूं आई है......!! अनकही जो सारी बाते थी तेरी,