Nojoto: Largest Storytelling Platform

उसने कहा था हम मुहब्बत को बांध नहीं सकते। यह बड़ी

उसने कहा था हम मुहब्बत को बांध नहीं सकते। यह बड़ी रूहानी होती है।
मुझे तब पता ही नहीं था कि मुहब्बत इतनी उन्मुक्त होती है कि किसी के हाथ ही नहीं आती। 
यहां तक कि उस इंसान के भी जिसने इसे सातवे आसमान तक पहुंचाया हो।
और मैने तुमने हम सबने क्या किया
विश्वास किया..
इसे बांधना था
यादों में, बाहों में, आंसूओं में, और पता नहीं कितने कितने बंधन है जो इसपर थोपे जाने थे।
मुहब्बत बहुत हल्की होती है, इतनी की उड़ जाती है ज़रा सी हवा से। ओह इसे हवा क्या कहना, उड़ जाती है फूंक से..
कभी समाज का फूंक तो कभी धर्म कभी जात तो कभी गलतफहमी और अक्सर विकल्प से..
हां तुम दार्शनिक हो
तुम कहोगे इश्क़ को स्वायत रखो, स्वतंत्र रखो, तुम्हारा होगा तो लौट कर आएगा
कोई बताएगा जरा कि किसका इश्क़ लौट कर आया है आज तक।
मुहब्बत कोई सर्कस तो है नहीं कि पिंजरे से शेर निकला और वापस पिंजरे में आ गया।
इश्क़ तो कटी पतंग है साहब जो कट गई एक बार तो फिर तुम्हारे हाथ नहीं आएगी, जाएगी किसी की छत पर..
इसलिए कहता हूं बांध लो
मुहब्बत को बांध लो
चुम्बन से, बाहों से, बालों से, आंखों से,..
जैसे बांध सकते हो बांध लो..
ये जिसने भी प्रेम में उन्मुक्तता का सिद्धांत दिया है ना वो गधा था, निरा लंपट
इश्क़ करना आया नहीं उसे
उसके फेर में ना पड़ों..
प्रेम अगर फूल है तो फिर गूंथ दो माला, बना दो गजरा
नहीं तो अकेला फूल सुख कर उड़ जाएगा...
मेरे हाथ इसलिए खाली नहीं है कि मैं अज्ञानी था, इसलिए खाली है कि मैंने भी तुम्हारे जैसे किसी गधे दार्शनिक को पढ़ लिया था।
इसीलिए मैं अब कोई किताब नहीं पढ़ता, ये किताबें प्रेम करना भुला देती है।

©Samar Shem बांध लो 

#emptystreets
उसने कहा था हम मुहब्बत को बांध नहीं सकते। यह बड़ी रूहानी होती है।
मुझे तब पता ही नहीं था कि मुहब्बत इतनी उन्मुक्त होती है कि किसी के हाथ ही नहीं आती। 
यहां तक कि उस इंसान के भी जिसने इसे सातवे आसमान तक पहुंचाया हो।
और मैने तुमने हम सबने क्या किया
विश्वास किया..
इसे बांधना था
यादों में, बाहों में, आंसूओं में, और पता नहीं कितने कितने बंधन है जो इसपर थोपे जाने थे।
मुहब्बत बहुत हल्की होती है, इतनी की उड़ जाती है ज़रा सी हवा से। ओह इसे हवा क्या कहना, उड़ जाती है फूंक से..
कभी समाज का फूंक तो कभी धर्म कभी जात तो कभी गलतफहमी और अक्सर विकल्प से..
हां तुम दार्शनिक हो
तुम कहोगे इश्क़ को स्वायत रखो, स्वतंत्र रखो, तुम्हारा होगा तो लौट कर आएगा
कोई बताएगा जरा कि किसका इश्क़ लौट कर आया है आज तक।
मुहब्बत कोई सर्कस तो है नहीं कि पिंजरे से शेर निकला और वापस पिंजरे में आ गया।
इश्क़ तो कटी पतंग है साहब जो कट गई एक बार तो फिर तुम्हारे हाथ नहीं आएगी, जाएगी किसी की छत पर..
इसलिए कहता हूं बांध लो
मुहब्बत को बांध लो
चुम्बन से, बाहों से, बालों से, आंखों से,..
जैसे बांध सकते हो बांध लो..
ये जिसने भी प्रेम में उन्मुक्तता का सिद्धांत दिया है ना वो गधा था, निरा लंपट
इश्क़ करना आया नहीं उसे
उसके फेर में ना पड़ों..
प्रेम अगर फूल है तो फिर गूंथ दो माला, बना दो गजरा
नहीं तो अकेला फूल सुख कर उड़ जाएगा...
मेरे हाथ इसलिए खाली नहीं है कि मैं अज्ञानी था, इसलिए खाली है कि मैंने भी तुम्हारे जैसे किसी गधे दार्शनिक को पढ़ लिया था।
इसीलिए मैं अब कोई किताब नहीं पढ़ता, ये किताबें प्रेम करना भुला देती है।

©Samar Shem बांध लो 

#emptystreets
samarshem6242

Samar Shem

New Creator