...........अभिव्यक्ति........... अपना हाल- ए - दिल बताऊ तो बताऊ कैसे, जो राज दिल में है वो चुपाऊ तो चुपाऊ कैसे , एक पल में तो नहीं मिली हैं ये ज़िंदगी की सौगात फिर इस ज़िंदगी को भूलाऊ तो भूलाऊ कैसे | कुछ अपनों के दिये दर्द हैं कुछ औरो के, फिर इस दर्द से पीछा छुड़ाऊ तो छुड़ाऊ कैसे फिर इस ज़िंदगी .......... जो लम्हें बीत गए हैं ज़िंदगी - ए - सफर में , उन लम्हों को फिर से पास बुलाऊ तो बुलाऊ कैसे | तिनका तिनकाय जोड़कर जो बनाय़ा आशियां , उन आशियों को अपने ही हाथों जलाऊ तो जलाऊ कैसे फिर इस ज़िंदगी ............ हमें प्यार की चाहत पर उन्हें गमों से हैं मोहब्बत , आखें उनकी जान हैं मेरी पर उन्हें इसकी भी हैं शिकायत फिर बताओ अपनी सोहरत को सजाऊ तो सजाऊ कैसे, फिर इस ज़िंदगी ............. शाम ढ़ली अब रात ढ़ली सब बात ढ़ली, मुकद्दर की चाहत ढ़ली , सब औकात ढ़ली | फिर सोचों इन ख्वाबों को दफनाऊ तो दफनाऊ कैसे फिर इस ज़िंदगी .............. #### मुकेश ओझा #### nojoto patna ....pana hal ye dil btau to btau kaise...